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सितापुर की उमैमा ने जामिया 10वीं में 96.4% से बनाया रिकॉर्ड।

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सितापुर जिले के एक छोटे से गाँव सदारावन की रहने वाली उमैमा बानो ने जामिया मिलिया इस्लामिया की 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 96.4% अंक हासिल करके सभी को चौंका दिया है। उमैमा इस साल टॉप-10 रैंक धारकों में शामिल हुई हैं।

जामिया ने 14 मई को 12वीं और 15 मई को 10वीं के नतीजे जारी किए। इस साल लड़कियों ने लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया है, और उमैमा की सफलता इसकी चमकदार मिसाल बन गई है।

उमैमा के पिता कमाल अहमद एक प्राइवेट इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य हैं। उनकी बेटी की यह उपलब्धि न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे गाँव के लिए गर्व का विषय बनी है। साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उमैमा ने सभी विषयों में शानदार अंक पाए। उनके मार्कशीट के मुताबिक:

  • हिंदी: 97%
  • अंग्रेजी: 98%
  • गणित: 99%
  • विज्ञान: 93%
  • सामाजिक विज्ञान: 95%
  • उर्दू: 96%
  • इस्लामियत: 95%

उनके पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “उमैमा हमेशा से मेहनती और अनुशासित रही है। हमें उस पर भरोसा था, लेकिन उसने हमारी उम्मीदों से भी आगे निकल दिया।”

उमैमा ने प्राथमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के मुहम्मदाबाद के न्यू विजन पब्लिक इंटर कॉलेज से पूरी की। इसके बाद उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया के राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा में 45वीं रैंक हासिल कर यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। अब वह पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए छात्रावास में रहती हैं।

भविष्य के लक्ष्य के बारे में उमैमा ने कहा, “मैं आईएएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती हूँ। मेरे माता-पिता के त्याग ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है।”

उनकी सफलता की खबर सुनकर गाँव वाले उनके घर बधाई देने पहुँचे। स्थानीय शिक्षक फ़िरोज़ खान ने कहा, “उमैमा ने दिखा दिया कि छोटे गाँव के बच्चे भी मेहनत और सपोर्ट से बड़े मुकाम हासिल कर सकते हैं।”

जामिया के अधिकारियों ने भी उनकी सराहना करते हुए कहा, “हम देश के हर कोने से प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उमैमा की कहानी मेहनत और समान अवसर का जीता-जागता उदाहरण है।”

इस साल भी जामिया में लड़कियों ने 10वीं और 12वीं दोनों कक्षाओं में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया। उमैमा की यह सफलता न सिर्फ उनके गाँव, बल्कि पूरे देश की ग्रामीण लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई है। सितापुर में जश्न का माहौल है। सभी की उम्मीद है कि उमैमा का सफर दूसरों को भी बड़े सपने देखने और सामाजिक बाधाओं को तोड़ने की प्रेरणा देगा।

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