सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला आम लंगड़ा, चौसा, गुलाब जामुन ये आम बाजारों में लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं लेकिन इस साल ये आम अपनी रंग की वजह से लोगो की नज़रों से गिर गए हैं। और इनके अंदर भरपूर मिठास भी मौजूद है। लेकिन बारिश की वजह से रंगों सांवले होने के कारण लोग इन्हें पसंद नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि शाहजहांपुर की मंडी में 40 रुपये प्रति किलो का बिकने वाला गुलाब जामुन अब अपने काले रंग के कारण 4 से 6 रुपये प्रति किलो बिकने को मजबूर है ऐसे में आम के मजबूर किसान गांव में जाकर 4 से 6 रुपये प्रति किलो बेचने को मजबूर हो चुके हैं।
मौसम के कारण बर्बाद होती फसलें
आम की इस साल की फसल पर मौसम का प्रभाव फरवरी के महीने से शुरू हो गया था। और अभी तक ये सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। लगभग मौसम की मार के कारण 80% फसलें तो फरवरी में हुए औलावृष्टि के कारण बर्बाद हो चुकी थी। और जो बाकी बची हुई फसलें भारी बारिश की चपेट में आ गई हैं। बता दें कि पिछले महीने से हो रही बारिश के कारण लंगड़ा, चौसा, और गुलाब जामुन जैसे आमो पर पूरी तरह कालिख लग चुकी है।
चेपा बिमारी की चपेट में आम की फसलें
आम के किसान शोएब हबीब ने कहा कि इस साल आम की फसल को चेपा नाम की बिमारी ने अपने ग्रस्त में ले लिया है। चेपा बिमारी पहले आम के पत्तों पर लगता है। और जब बारिश होती है तो ये पत्तों से बाहर निकलकर आम के ऊपर आकर लग जाता है। जिससे पूरे आम का रंग काला पड़ जाता है इस बारे में एक आम के विक्रेता जाहिद ने बताया कि आम का रंग काला पड़ने के कारण उच्च वर्ग के और मध्यम वर्ग के लोग आम को नहीं खरीद पा रहे हैं। इसलिए आम के खराब होने के कारण सस्ते दामों में ही निचले तबके को लोगो को ही बेचना पड़ रहा है। फल मंडी के आढ़ती
प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि पिछले महीने में लगभग 80% आम पहले ही खराब हो चुका था। और बचा हुआ आम बारिश के कारण नष्ट हो गया है जो कभी 40 से 50 रुपये बिकने वाला आम इस सीजन में कौडियों के भाव बिकने को मजबूर है।
बता दें कि वेस्ट यूपी में कावंड़ यात्रा के दौरान रास्ते बंद होने के कारण आम एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं पहुंच पा रहा है जिसकी वजह से भी काफी नुकसान हुआ है। जब आम बाहर नहीं पहुंच पाया तो किसानों ने अपने आमों को नहीं तोड़ा उन्हें रोककर रखा और जिसके कारण बारिश की वजह से काला पड़ गया है।
लागत निकालने के लिए भटकते किसान
बारिश के कारण काला पड़ा आम को कोई खरीदने को तैयार नहीं हैं ऐसे मे किसान अपना कोई भंडारण भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किसान मंडी छोड़कर खुद आम को बेचने के लिए गांव गांव जा रहे हैं जिससे आम की लागत निकल सके किसान कहना था कि मंडी में आम को कोई पूछने वाला नहीं हैं इसलिए गांव में जाकर बेचना पड़ रहा है।