नई दिल्ली: भारत के ग्रैंड मुफ्ती, शेख अबूबकर (Grand Mufti of India Sheikh Abubakr Ahmad) अहमद ने मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाकर किए जा रहे दावों और कानूनी कार्यवाही पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम देश की धर्मनिरपेक्षता और एकता को कमजोर कर सकते हैं। एक प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने राजनीतिक नेताओं, प्रशासन और लोकतंत्र समर्थकों से अपील की कि वे पूजा स्थलों की वर्तमान स्थिति को बनाए रखने और सांप्रदायिक विचारधारा का विरोध करने के लिए कदम उठाएं।
उन्होंने अजमेर दरगाह का उदाहरण दिया, जो धार्मिक सौहार्द और सूफी परंपराओं का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और केंद्र सरकार को दरगाह के नीचे मंदिर होने के बेबुनियाद दावे को लेकर अदालत द्वारा भेजे गए नोटिस से जनता में अशांति फैलेगी।”
ग्रैंड मुफ्ती ने कहा कि इसी तरह के दावे ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा शाही ईदगाह, संभल शाही जामा मस्जिद और अजमेर दरगाह जैसे महत्वपूर्ण मुस्लिम पूजा स्थलों के खिलाफ भी किए जा रहे हैं, जो देश की धर्मनिरपेक्षता को खतरे में डाल सकते हैं। उन्होंने अदालतों और कानून व्यवस्था से 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को लागू करने की अपील की, जो 1947 की स्थिति को बनाए रखने का निर्देश देता है।
उन्होंने कहा, “अगर इन मामलों को सावधानीपूर्वक नहीं संभाला गया, तो इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा और देश की एकता को नुकसान पहुंचेगा।” उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल में हुई घटनाओं को बढ़ते खतरे का उदाहरण बताया।
ग्रैंड मुफ्ती ने सभी पक्षों—राजनीतिक दलों, समाज और प्रशासन—से अपील की कि वे भारत की धर्मनिरपेक्षता और एकता को बनाए रखने के लिए धार्मिक स्थलों की रक्षा करें और सौहार्द को बढ़ावा दें।