आज भारतवासियों के लिए एतिहासिक दिन है। आज ही के दिन यानि 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल नियाजी के नेतृत्व में 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था।
3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ ये युद्ध 13 दिनों तक चला था। पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वायुसेना के 11 स्टेशनो पर हवाईहमले किए थे। इन हमलों के बाद भारत सरकार ने भारतीय सेना को बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारियों की मदद करने का आदेश दिया था।
4 दिसंबर को भारत सरकार ने ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू किया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय नौसेना कराची बंदरगाह पर हमला कर उसे तहस-नहस कर दिया था। इसके साथ ही भारतीय सेना ने भी लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह की कमांड में पाकिस्तान के चाचरो शहर पर हमला किया था। वहीं पूर्वी पाकिस्तान के गवर्नर के घर पर हुए भारतीय वायुसेना के हमले ने पाकिस्तान को हार मानने के लिए मजबूर कर दिया था।
आखिरकार 16 दिसंबर 1971 की सुबह सेना को मानेकशॉ का संदेश मिला कि पाकिस्तान की सेना आत्मसमर्पण करने जा रही है। एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह में नियाजी ने आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान नियाजी के पास 26,400 सैनिक थे। वहीं भारत के पास सिर्फ 3000 ही सैनिक थे।
दस्तावेज पर हस्ताक्षर के साथ ही दुनिया के नक्शे पर नए मुल्क बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस जंग में भारत के 3,900 सैनिक शहीद हुए थे जबकि 9,851 सैनिक घायल हुए थे।