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नदीम खान के समर्थन में उठी एकजुट आवाज़।

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नई दिल्ली: नदीम खान (Nadeem Khan APCR) पर दिल्ली पुलिस ने वैमनस्य फैलाने और आपराधिक साजिश का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की है। यह मामला उस वीडियो के वायरल होने के बाद सामने आया, जिसमें नफरत भरे अपराधों का दस्तावेजीकरण किया गया था। फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें 6 दिसंबर तक गिरफ्तारी से राहत दी है।


प्रशांत भूषण: “न्याय के लिए आवाज उठाना अपराध नहीं”

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने इस एफआईआर को “न्याय के सिद्धांतों पर हमला” बताया। उन्होंने कहा, “नफरत और अन्याय के खिलाफ जागरूकता फैलाना अपराध नहीं है। बल्कि, यह लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूत करता है।”

भूषण ने पुलिस की कार्यशैली की निंदा करते हुए कहा कि यह अन्याय में भागीदार बन रही है। उन्होंने पुलिस द्वारा खान को बेंगलुरु में हिरासत में लेने की कोशिश को तेज और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करार दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि नफरत फैलाने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।

भूषण ने APCR और नदीम खान के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, “APCR ने हमेशा नागरिक अधिकारों के उल्लंघन के मामलों पर तथ्य आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत की है। यह संगठन न केवल तेज, बल्कि प्रभावी ढंग से काम करता है।”

उन्होंने यति नरसिंहानंद जैसे नफरत फैलाने वालों पर कार्रवाई न होने की आलोचना की और मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को “अन्यायपूर्ण” करार दिया।


संजय हेगड़े: “न्याय के लिए अद्वितीय योगदान”

वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि नदीम खान ने हमेशा पीड़ितों के लिए निस्वार्थ संघर्ष किया है। उन्होंने एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया, “उत्तर प्रदेश में पुलिस इंस्पेक्टर सुभोध कुमार सिंह की हत्या के बाद, नदीम खान ने उनकी विधवा को मेरे पास लाया। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में आरोपियों की जमानत रद्द कर दी और उन्हें जेल भेजा गया।”

हेगड़े ने कहा कि खान जैसे कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना, देश में न्याय और संविधान के लिए खतरा है।


फरहा नकवी: “सच बोलने को अपराध बनाया जा रहा है”

कार्यक्रम की संचालिका और प्रसिद्ध लेखिका फरहा नकवी ने कहा कि यह वक्त खामोश बैठने का नहीं है। उन्होंने कहा, “नदीम खान का अपराध सिर्फ इतना है कि उन्होंने नफरत भरे अपराधों की सच्चाई उजागर की। क्या सच्चाई दिखाना अब अपराध बन गया है?”

उन्होंने एफआईआर के तर्क पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर हम बुलडोज़िंग और लिंचिंग के खिलाफ बोलते हैं, तो हमें वैमनस्य फैलाने वाला बताया जाता है। यह न्याय का गंभीर उल्लंघन है।” नकवी ने इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।


कविता श्रीवास्तव: “संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं”

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने दिल्ली पुलिस की कार्यशैली की आलोचना की। उन्होंने कहा कि APCR कार्यालय पर छापा मारना और कानूनी प्रक्रिया का पालन न करना “सरासर अन्याय” है।


मनोज झा: “न्यायपालिका खोई हुई आशा बन गई है”

आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि आज न्यायपालिका से उम्मीदें टूट रही हैं। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “अगर नफरत फैलाने वालों पर कानून लागू किया जाए, तो पूरी सरकार जेल में होगी।” झा ने चेतावनी दी कि देश में कानून और व्यवस्था का लगातार ह्रास हो रहा है।


समर्थन में आवाजें

पूर्व योजना आयोग सदस्य सय्यदा सैय्यदैन हामिद ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह लड़ाई केवल नदीम खान की नहीं है, बल्कि हर उस आवाज की है जो अन्याय के खिलाफ उठती है।”

इस कार्यक्रम में शामिल सभी वक्ताओं ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और स्पष्ट किया कि नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किसी भी कीमत पर जारी रहेगा। कार्यक्रम ने देश में बढ़ती असहिष्णुता और स्वतंत्रता के दमन पर एक गंभीर सवाल उठाया।

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