मध्य प्रदेश के दामोह जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नकली डॉक्टर ने ब्रिटिश हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन कैम का फर्जी परिचय देकर मरीजों के साथ खिलवाड़ किया। इस घटना में सात मरीजों की मौत होने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया है, जबकि NHRC ने भी जांच का संज्ञान लिया है।
क्या है पूरा मामला?
- फर्जी पहचान: आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने खुद को यूके से प्रशिक्षित कार्डियोलॉजिस्ट ‘डॉ. एन जॉन कैम’ बताया और मिशनरी अस्पताल में एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी जैसी जटिल प्रक्रियाएं कीं।
- नकली दस्तावेज: उसने फर्जी मेडिकल डिग्री और सोशल मीडिया पोस्ट्स दिखाकर अस्पताल प्रशासन को गुमराह किया।
- मौतों का सिलसिला: जनवरी-फरवरी 2023 के दौरान उसके द्वारा की गई हार्ट सर्जरी के बाद 7 मरीजों की मृत्यु हो गई।
पुलिस कार्रवाई और धाराएं
दामोह पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 315(4) (जानबूझकर जीवन को जोखिम), 338 (गंभीर चोट), 336(3) (लापरवाही), 340(2) (गबन), और 3(5) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपी फरार है, और उसे ढूंढने के लिए स्पेशल टीम गठित की गई है।
पीड़ित परिवारों का दर्द
- रहीसा बेगम (58 वर्ष): ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद ही उनकी मौत हो गई। बेटे नबी ने बताया, “डॉक्टर कार में बैठकर भाग गया।”
- मंगल सिंह (62 वर्ष): परिवार को सर्जरी के बाद शव लेने के लिए मजबूर किया गया। बेटे जीतेंद्र ने आरोप लगाया, “महंगे इंजेक्शन भी नहीं लगाए गए।”
अस्पताल प्रशासन पर सवाल
मामले में अस्पताल की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। दामोह कलेक्टर सुधीर कोचर के अनुसार, “यह जांचना जरूरी है कि बिना पृष्ठभूमि जांचे नकली डॉक्टर को कैसे नियुक्त किया गया।”
NHRC की टीम पहुंची दामोह
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने घटना को गंभीरता से लेते हुए एक जांच टीम को अस्पताल भेजा है। पीड़ित परिवारों और अस्पताल कर्मचारियों से बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
आरोपी का पुराना रिकॉर्ड
सूत्रों के मुताबिक, नरेंद्र यादव पर तेलंगाना में पहले भी धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। उसने 1996 में उत्तरी बंगाल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और 2001 में लंदन से एमआरसीपी का झूठा दावा किया था।
अब क्या?
जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजनों से अपील की है कि वे अपनी शिकायतें दर्ज कराएं। इस मामले में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।