2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। अदालत ने पाया कि अधिकारी ने एक आरोपी को गलत तरीके से फंसाने के लिए जानबूझकर अहम सबूतों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।
आरोपी संदीप भाटी को बरी
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने आरोपी संदीप भाटी को सभी आरोपों से बरी करते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त को जांच अधिकारी के आचरण की समीक्षा करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। यह मामला भाटी के खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोप से जुड़ा था। अभियोजन पक्ष का मुख्य आधार एक वीडियो क्लिप था, जिसमें उसे कथित तौर पर हमले में भाग लेते हुए दिखाया गया था।
सबूतों से छेड़छाड़ का मामला
अदालत ने पाया कि जांच अधिकारी ने जानबूझकर वीडियो का सिर्फ एक छोटा हिस्सा पेश किया। इस हिस्से में भाटी को हमले को रोकने की कोशिश करते हुए दिखाया गया था, लेकिन इसे हटाकर आरोपी को दोषी ठहराने की कोशिश की गई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि जांच अधिकारी ने गहन और निष्पक्ष जांच करने के बजाय सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और भाटी को झूठा फंसाया।
अधूरी जांच पर अदालत की नाराजगी
अदालत ने कहा कि अधिकारी ने वीडियो का इस्तेमाल करते समय इसे केवल पांच सेकंड तक सीमित कर दिया ताकि उसमें से भाटी के बचाव वाले हिस्से को हटा दिया जाए। इसके अलावा, शिकायतों की उचित जांच किए बिना ही आरोप तय कर दिए गए।
दंगों का घटनाक्रम
24 फरवरी 2020 को शिव विहार तिराहे के पास एक भीड़ द्वारा शाहरुख नामक व्यक्ति पर हमले की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। शाहरुख ने दावा किया कि भीड़ ने उसे ऑटो-रिक्शा से बाहर खींचकर लाठी और पत्थरों से पीटा और गोली मार दी। इस मामले के साथ छह अन्य शिकायतों को भी जोड़ा गया, लेकिन अदालत ने इनकी जांच में भारी खामियां पाईं।
वीडियो क्लिप पर विवाद
शाहरुख के भाई द्वारा मुहैया कराए गए वीडियो फुटेज और उसके स्क्रीनशॉट को सबूत के रूप में पेश किया गया। हालांकि, अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने उन हिस्सों को हटाया, जो आरोपी के पक्ष में थे।
जांच अधिकारी पर सख्त टिप्पणी
अदालत ने जांच अधिकारी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने न तो वीडियो के स्रोत का पता लगाने की कोशिश की और न ही व्हाट्सएप पर इसे पोस्ट करने वाले व्यक्ति की पहचान की। इसके अलावा, जांच में पारदर्शिता और निष्पक्षता का पूरी तरह अभाव था।
भाटी को बरी और पुलिस आयुक्त को निर्देश
अदालत ने भाटी को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए कहा कि जांच अधिकारी ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया और जांच में गंभीर खामियां छोड़ीं। मामले को दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजते हुए अदालत ने जांच अधिकारी के आचरण की समीक्षा और आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया।