आजकल देखा जा रहा है कि राजनेताओं से ज्यादा चर्चा उनके निजी सहायकों, ओएसडी और सलाहकारों की होती है। अधिकांश का कारण उनका व्यवहार, चाय से ज्यादा केतली गरम जैसे मुहावरे, उनका हावी होता रवैया, नेता जी के काम में दख़ल या फिर उनके कृत्यों का नेता जी की इमेज पर प्रभाव इत्यादि ही होते हैं।
ऐसा ही कुछ मामलों के कारण आजकल सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा चर्चा में हैं।

दरअसल पंकज कुमार झा ने हाल ही में अपने फ़ेसबुक एकाउंट पर एक पोस्ट लिखा है:
जिसके एक हिस्से में उन्होंने लिखा है “आइए नफ़रत के विरुद्ध नफ़रत फैलाएँ!…….प्लीज असहिष्णु हो जाइए…… नफ़रत+नफ़रत= प्यार होता है”
पूरा पोस्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

इस पोस्ट के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी हमलावार हो गयी। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर कांग्रेस ने सीधा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सवाल पूछ दिया।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को टैग करते हुए लिखा कि क्या आपके सलाहकार जो कह रहे हैं उसे छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री कार्यालय का बयान माना जाए?
चाल-चरित्र-चेहरे की बात करने वाली भाजपा की सरकार कह रही है कि “आइए! नफ़रत के विरुद्ध नफ़रत फैलाएँ”
ध्यान रखिए! छत्तीसगढ़ शांति का टापू है। बाबा घासीदास जी ने भी यहाँ शांति का संदेश दिया है। यह गांधी का देश है।
यहाँ नफ़रत का कोई स्थान नहीं है। नफ़रत नहीं फैलने देंगे। हम नफ़रत को मोहब्बत से हराते हैं

इसके बाद एक के बाद एक पंकज कुमार झा के सोशल मीडिया पोस्ट की खुदाई शुरू हो गयी है।
कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत ने जब अपने एक ट्वीट में अमरीका से ज़ंजीरों में बाँधकर भारत वापस भेजे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की तो मुख्यमंत्री के सलाहकार लिखते हैं कि ‘ऐसे चोरों को सही सलामत वापस भेजना अमेरिका की उदारता है’

इसके अलावा पंकज कुमार झा के कई सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हैं। पंकज कुमार झा के जिन पोस्ट को सोशल मीडिया में प्रदर्शित किया जा रहा है उनके कुछ शब्द इस प्रकार हैं: ‘चोट्टा’, ‘नोंच डालना चाहिए’, ‘उचक्के’, ‘बाज़ारू वामपंथी’ इत्यादि।

यह सब चल ही रहा था कि तभी अचानक से एक और पोस्ट सोशल मीडिया में सुर्ख़ियाँ बटोरता है। इस पोस्ट में कंगना रनौत का एक ट्वीट है जिसमें वह बिकनी पहने समंदर के किनारे बैठी हैं।
इस ट्वीट को कोट करते हुए पंकज कुमार झा लिखते हैं ‘ज़िंदगी को उतनी ही खूबसूरत होना चाहिए जैसे बिकनी पहने कंगना रनौत। कोई दिक्कत नहीं इसमें।

कांग्रेस ने इसे भी सामान्य ज्ञान का प्रश्न बताते हुए पोस्ट कर दिया।

हालाँकि अब यह पोस्ट पंकज कुमार झा ने हटा लिया है।
पिछले 10-15 दिन से जारी इस घटनाक्रम ने बहुत तूल पकड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम ‘सुशासन तिहार’ में एक आवेदक ने मुख्यमंत्री से सीधे ही उनके सलाहार को हटाने की मांग कर दी। आरोप महिलाओं के अपमान का लगाया। संभवतः उनका यह ट्वीट इसका कारण होगा।

कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि कोई भी सलाहकार अच्छी सलाहें देने के लिए होता है। अगर वह मीडिया सलाहकार है तो उससे भाषा-शैली की अपेक्षा की जाती है लेकिन अगर सलाहकार महोदय की भाषा ऐसे होगी तो सवाल तो उठेंगे ही।
और यह सवाल सीधे मुख्यमंत्री से पूछे जा रहे हैं। सही भी है क्योंकि वह सलाहकार तो मुख्यमंत्री के ही हैं। क्या यह भाषा मुख्यमंत्री के संज्ञान में नहीं होगी? क्या मुख्यमंत्री का सलाहकार नफ़रत फैलाने की बात करेगा और मुख्यमंत्री चुप बने रहेंगे? कोई एक्शन नहीं होगा?
क्या कोई आम नागरिक ऐसा पोस्ट करेगा तो उस पर अशांति फैलाने, भड़काने की कार्रवाई नहीं होगी?
तो मुख्यमंत्री के सलाहकार को यह विशेष छूट क्यों? जवाब तो मुख्यमंत्री के पास ही होगा….