ओटावा, कनाडा: कनाडा के 2025 संघीय चुनावों में मुस्लिम समुदाय ने राजनीतिक भागीदारी के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद के निचले सदन) में इस बार 15 मुस्लिम सांसद चुने गए हैं, जो पिछली संसद (11 सांसद) के मुकाबले एक बड़ी छलांग है। मुस्लिम नेटवर्क टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि शहरी इलाकों विशेषकर टोरंटो और उसके आसपास के क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी (12-14%) के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।
चुनावी माहौल पर फिलिस्तीन संकट का गहरा असर
इस चुनाव में फिलिस्तीन में इजरायल के युद्ध और मानवीय संकट ने मुस्लिम मतदाताओं की राय को प्रभावित किया। मस्जिदों, सामुदायिक केंद्रों और सोशल मीडिया पर गाजा में हिंसा, युद्धविराम और मानवीय सहायता जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहे। 100 से अधिक मुस्लिम संगठनों ने “न्याय, समानता और गरिमा” के आधार पर वोट करने का आह्वान किया।
कनैडियन मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स काउंसिल (CMPAC) ने अपने #MuslimsVote अभियान के तहत 45 उम्मीदवारों को समर्थन दिया, जबकि 300 से ज़्यादा प्रत्याशियों ने फिलिस्तीन के अधिकारों के लिए “वोट पैलेस्टाइन” मंच को सपोर्ट किया। इनमें से कई विजयी उम्मीदवारों ने इस जनआंदोलन को चुनावी सफलता में बदलने में अहम भूमिका निभाई।
जनसांख्यिकीय बदलाव और चुनावी नतीजे
- सीटों का बढ़ा आकार: 2021 जनगणना के आधार पर संसदीय सीटों की संख्या 338 से बढ़ाकर 343 कर दी गई, जिससे प्रवासी और मुस्लिम बहुल शहरी क्षेत्रों को लाभ मिला।
- पार्टियों का प्रदर्शन: प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने 168 सीटें जीतकर अल्पमत सरकार बनाई, जबकि कंज़र्वेटिव पार्टी (144 सीटें) के नेता पियरे पॉलिवियर अपनी सीट हार गए।
कनाडा की नई मुस्लिम सांसदों की विविधता
नवनिर्वाचित 15 मुस्लिम सांसद कनाडा के बहुसांस्कृतिक चरित्र को प्रतिबिंबित करते हैं। इनमें लेबनान, पाकिस्तान, ईरान, सोमालिया, तुर्की और अन्य देशों के मूल के प्रतिनिधि शामिल हैं।
प्रमुख विजेताओं के नाम और परिचय:
- अब्देलहक सारी (लिबरल – बौरासा, क्यूबेक): सार्वजनिक सुरक्षा और अनाथ कल्याण के समर्थक। 58.5% वोट से जीत।
- फैसल अल-खूरी (लिबरल – लावल-लेस इल्स, क्यूबेक): अनुभवी लेबनानी-कनाडाई सांसद। 49.6% वोट से पुनर्निर्वाचित।
- समीर ज़ुबैरी (लिबरल – पिएरफोंड्स-डोलार्ड, क्यूबेक): मानवाधिकार कार्यकर्ता। 60% वोट से जीत।
- शफकत अली (लिबरल – ब्रैम्पटन-चिंगुआकोसी पार्क, ओंटारियो): स्वास्थ्य सेवा और किफायती जीवन के पैरोकार। 48.7% वोट से विजयी।
- असलम राणा (लिबरल – हैमिल्टन सेंटर, ओंटारियो): पाकिस्तानी मूल के इंजीनियर, जो टिकाऊ विकास और छोटे व्यवसायों को समर्थन देते हैं।
- फारिस अल-सौद (लिबरल – मिसिसॉगा सेंटर, ओंटारियो): संसद में नया चेहरा। 53.7% वोट से कंज़र्वेटिव को हराया।
- इक़रा खालिद (लिबरल – मिसिसॉगा-एरिन मिल्स, ओंटारियो): इस्लामोफोबिया और रोहिंज्या मुद्दों पर मुखर आवाज़।
- सीमा अकान (लिबरल – ओकविले वेस्ट, ओंटारियो): संसद की पहली तुर्की-कनाडाई सांसद।
- यासिर नकवी (लिबरल – ओटावा सेंटर, ओंटारियो): न्याय सुधार और शहरी विकास पर फोकस।
- सलमा ज़ाहिद (लिबरल – स्कार्बोरो सेंटर-डॉन वैली ईस्ट, ओंटारियो): गाजा पर दक्षिण अफ्रीका के मामले का समर्थन करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता।
- करीम बर्दीसी (लिबरल – ताईआइको’न-पार्कडेल-हाई पार्क, ओंटारियो): शिक्षा और लोकतंत्र पर काम करने वाले थिंक टैंक के प्रमुख। 55.54% वोट से जीत।
- अली एहसासी (लिबरल – विलोडेल, ओंटारियो): ईरानी शासन की जवाबदेही के लिए प्रयासरत।
- अहमद हुसैन (लिबरल – यॉर्क साउथ-वेस्टन-एटोबिकोक, ओंटारियो): पूर्व आप्रवासन मंत्री और सोमाली मूल के समाजसेवी।
- जियाद अबौलतैफ (कंज़र्वेटिव – एडमंटन मैनिंग, अल्बर्टा): आर्थिक अनुशासन और समुदाय विकास के हामी।
- तलीब नूरमोहम्मद (लिबरल – वैंकूवर ग्रैनविले, ब्रिटिश कोलंबिया): हार्वर्ड से शिक्षित, डिजिटल परिवर्तन के विशेषज्ञ।
यह चुनाव कनाडा की बदलती सामाजिक-राजनीतिक तस्वीर को दिखाता है, जहाँ मुस्लिम समुदाय न केवल मतदाता बल्कि नीति-निर्माताओं के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। फिलिस्तीन जैसे वैश्विक मुद्दों ने स्थानीय राजनीति को प्रभावित किया, जिससे यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ अब घरेलू चुनावी एजेंडे को भी आकार दे रही हैं।