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मध्य प्रदेश में दैनिक अखबारों के खिलाफ शिकायत दर्ज, कार्रवाई की मांग।

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भोपाल। मध्य प्रदेश के प्रमुख अख़बारों के खिलाफ साम्प्रदायिक और भड़काऊ खबरें छापने का आरोप लगाया गया है। कुछ ज़िम्मेदार नागरिकों ने अखबारों के 27 अप्रैल 2025 के अंक में प्रकाशित रिपोर्ट्स को लेकर पुलिस और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि अखबारों ने पत्रकारिता के मानदंडों को ताक पर रखकर समाज में नफरत फैलाने और देश की एकता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि अखबारों ने अपराध की घटनाओं को जानबूझकर साम्प्रदायिक रंग दिया। खबरों में “लव जिहाद” जैसे संवेदनशील शब्द का इस्तेमाल किया गया, जो न तो कानूनी है और न ही अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किया गया था। इसके जरिए अखबारों ने एक धर्म विशेष के खिलाफ नफरत फैलाने का प्रयास किया। शिकायत में यह भी बताया गया कि अखबारों ने पीड़िताओं की निजी जानकारी, जैसे उनके संस्थान का नाम, उजागर करके कानून का उल्लंघन किया।

मामला तब और गंभीर हो जाता है जब अख़बार ने आरोपियों को मीडिया ट्रायल का शिकार बनाया। शिकायत के मुताबिक, खबरों को इस तरह पेश किया गया मानो आरोपी का दोष सिद्ध हो चुका हो, जबकि मामला अदालत में लंबित है। इससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होने का खतरा है। साथ ही, अख़बार ने तथ्यों की बजाय सनसनीखेज भाषा का इस्तेमाल कर पाठकों को गुमराह किया।

शिकायतकर्ताओं ने प्रेस काउंसिल से मांग की है कि अखबारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश दिया जाए। साथ ही, मीडिया संगठनों को निर्देश दिए जाएं कि वे अपराध की खबरों को धर्म या जाति से न जोड़ें और संतुलित भाषा का इस्तेमाल करें। शिकायत में अखबारों की संबंधित रिपोर्ट्स की कॉपी भी संलग्न की गई है।

प्रेस काउंसिल के नियमों के मुताबिक, मीडिया का कर्तव्य है कि वह समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने वाली रिपोर्टिंग करे। ऐसे में, इस शिकायत पर जल्द कार्रवाई की उम्मीद है।

खास बातें:

  • अखबारों पर साम्प्रदायिकता फैलाने और पत्रकारिता मानकों को तोड़ने का आरोप।
  • “लव जिहाद” जैसे विवादास्पद शब्दों के इस्तेमाल से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का प्रयास।
  • पीड़ितों की निजता उजागर करने और मीडिया ट्रायल को लेकर गंभीर सवाल।

इस मामले की जांच अब प्रेस काउंसिल और पुलिस के हवाले है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि “मीडिया की आजादी का मतलब जिम्मेदारी से बचना नहीं है। समाज को बांटने वाली खबरों पर अंकुश जरूरी है।”

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