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मोहम्मद इब्राहिम का चंपारण से दुबई तक सफर, बेस्ट ट्रेवल इम्रेग्रेशन सर्विसेज से नवाजा गया।

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मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली: बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले और मशहूर कारोबारी मोहम्मद इब्राहिम को हालिया दिनों ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बेस्ट ट्रेवल इम्रेग्रेशन सर्विसेज से नवाजा गया है. इसके अलावा दुबई में Federation of economic development association द्वारा सर्वोत्तम यात्रा और इम्रेग्रेशन सेवा के लिए नवाजा जा चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले अबू धाबी दौरे पर मोहम्मद इब्राहिम ने राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत कर चुके हैं. मोहम्मद इब्राहिम मोतिहारी शहर के गांधी नगर रमना के रहने वाले हैं और उनके पिता मोइनुल हक सरकारी एडवोकेट ए पी पी हैं. मोहम्मद इब्राहिम की शुरुआती शिक्षा अल-हिरा पब्लिक स्कूल से हासिल करने के बाद जामिया इमाम इब्ने तैमिया चंदन बारा चला गया. जहां से शिक्षा ग्रहण करने के बाद मैट्रिक की परीक्षा शहर के गोपाल शाह हाई स्कूल से पास किया, फिर उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए कोलकत्ता पहुंचे जहां वर्ष 2007 में College Subhas Bose institute of hotel management की पढ़ाई की और एमबीए सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से की. 2009 में डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने भारत स्काउट्स राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया. उन्होंने पहली नौकरी लीला पैलेस कैंपेन की बेंगलुरु में स्टार्ट किया था. यहां से निकलने के बाद बुर्ज अल अरब में काम किया है. इब्राहिम अमेरिका के सीडरब्रुक विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं।

मोहम्मद इब्राहिम अबू धाबी में अपनी कंपनी खोलने के बारे में बताते हैं कि वहां की शाही परिवार के एक सदस्य ने मौका दिया कि मैं अपनी एक कंपनी शुरू करें, इसके बारे में कई दिनों की सोच विचार के बाद उनके साथ ग्रुप ऑफ जनरल मैनेजर शुरुआत की और दो साल के कम वक्त में कंपनी अच्छा करने लगी. मेरे जो शेख थे वह जब लंडन गए तो वहीं पर उनका निधन हो गया. इस हादसे के बाद मैंने अपनी कम्पनी स्टार्ट किया और जो लोग बेरोजगार हो गए थे उन्हें अपनी कम्पनी में मौका दिया.

इब्राहिम ग्रुप (Prime Arabia global service, Prime Arabia C.T Services and Aban Properties management LlC) का काम बेसिक तौर पर Facility management का है. जिसके होटल मैनेजमेंट, आईटीआई समेत दूसरे फील्ड के बच्चे होते हैं, उन्हें हमारी कम्पनी प्रशिक्षण देने के बाद जॉब देते हैं. हमारे यहां के बच्चे फाइव स्टार होटलों में काम करते हैं. इस समय कई सौ युवा काम कर रहे हैं.

भारतीय बच्चे दुबई में अपना भविष्य कैसे उज्जवल बना सकते हैं. इस सवाल के जवाब में इब्राहिम कहते हैं कि मेरा मकसद है लोगों को जोड़ना, बिहार में रोजगार की कमी है, बड़ी संख्या में लोग पढ़ लिख कर भटक रहे हैं ऐसे लोगों को ट्रेंड करना हमारी प्राथमिकता होती है. कई बच्चों को मेरी कम्पनी ने मौका भी दिया और बहुत सारे लोग काम कर रहे हैं.

मोहम्मद इब्राहिम दुबई में रहने के बावजूद वह अपने क्षेत्र में शिक्षा की रोशनी जला रखे हैं. वह बताते हैं कि करीब 15 साल पहले डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम साइंस क्लब का गठन किया, जहां जरूरतमंद बच्चों का चयनित करने के बाद उन्हें मेरी टीम की तरफ से कई सुविधाएं दी जाती है. मैंने देखा है कि बहुत सारे बच्चे सहूलत के अभाव में वह अपने सपनों को पंख नहीं दे पाते हैं. उन्हें मौका नहीं मिल पाता है. ऐसे बच्चों के लिए 15 साल पहले मोतिहारी शहर के रमना में लाइब्रेरी की शुरुआत किया था. फिल्हाल, पूर्वी चंपारण जिले के चकिया में इब्राहिम द्वारा फ्री में बच्चों को क्लासेज दिया जा है. वह इस बारे में कहते हैं कि जल्द ही जिले के कई जगहों पर ऐसी कोचिंग संस्थान खोले जाएंगे.

हालिया दिनों, आईआईटी रिजल्ट जिसमें मोहम्मद इब्राहिम द्वारा आर्थित तौर पर सम्मानित किए गए अभय कुमार ने कामयाबी हासिल की है.

लाइब्रेरी की शुरुआत के बाद मुझ पर करियर को बेहतर बनाने का दबाव आया तो मैं विदेश चला गया है, अब 5 साल से सोशल वर्क कर रहा हूं. जो बच्चे मैट्रिक, इंटर में कामयाबी हासिल किया हैं उनको सम्मानित किया हूं, साथ ही जो बच्चियां आर्थिक तौर पर कमजोर हैं तो उनके ग्रेजुएट का खर्च मैंने उठाने का ऐलान किया है

मोहम्मद इब्राहिम युवा छात्रों को संदेश देते हुए कहते हैं कि अगर जिंदगी में कामयाब होना है तो सबसे पहले टाइम की इज्जत करें, समय की इज्जत करें और रूटिंग को फॉलो करें. आप किसी भी मैदान में हो, ये आपके ऊपर है कि आप किस तरह मेहनत करते हैं.

दुबई में भारतीय लोगों को survive करना करना आसान और मुश्किल हैं, इस सवाल के जवाब में इब्राहिम ग्रुप के डायरेक्टर मोहम्मद इब्राहिम कहते हैं कि दुबई में 80 लोग हैं वह इंडियन है. बिजनेस में भविष्य बेहतर बनाया जा सकता है. इसलिए कि वहां पर ऐसी चीजों पर टैक्स नहीं है. भारत में जो लोग मेहनत करके कमाते हैं वह वहां पर उतनी ही मेहनत करके अच्छा कमा सकते हैं.

बिहार में शिक्षा के विषय पर वह बताते हैं कि बिहार में मेहनतकश लोगों की कमी नहीं है, उन्हें गाइड करने वाला नहीं है, विदेश में बहुत सारी नौकरियां हैं जहां जाकर हमारे नौजवान अपने करियर को संवार सकते हैं. मेरी कोशिश है कि जल्द ही चंपारण में शिक्षा के साथ-साथ तकनीक पर बच्चों को जागरूक किया जाए।

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