उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका जेबा अफ़रोज (Zeba Afroz) को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करने के बाद निलंबित कर दिया गया है। यह पोस्ट दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिखी गई थी। जेबा पर सांप्रदायिक बयान देने का आरोप लगा है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। वे भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति को बचाने की कोशिश कर रही थीं।
जेबा, चोपन ब्लॉक के प्राइमरी स्कूल मालोगढ़ में सहायक शिक्षिका हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा था: “देश के सच्चे वफादार हमेशा मुसलमान रहे हैं, और गद्दार हमेशा संघी (संगठन से जुड़े लोग) रहे हैं।” उन्होंने आगरा में युवक गुल्फ़ाम की हत्या की भी आलोचना की थी। यह पोस्ट हटा दिया गया, लेकिन इसकी स्क्रीनशॉट व्हाट्सएप और स्थानीय समूहों में तेजी से फैल गई। कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इसे “भड़काऊ” बताया और उनके खिलाफ मांगें शुरू हो गईं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जेबा को सेवा नियमों का उल्लंघन बताते हुए निलंबित कर दिया। उन्होंने कहा, “शिक्षकों को शांति और निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए।” हालांकि, यह फैसला बड़ी बहस का विषय बन गया है। नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि जेबा का पोस्ट राजनीतिक विचार था, नफरत भरी बात नहीं। उन्होंने सवाल उठाया कि अक्सर दूसरों के नफरत भरे पोस्ट पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?
यह घटना पिछले कुछ सालों में मुस्लिम शिक्षकों, पत्रकारों आदि के खिलाफ कार्रवाई की लंबी सूची का हिस्सा है। जेबा के सहकर्मी उन्हें मेहनती और दयालु बताते हैं। उनका 12 साल का रिकॉर्ड भी साफ रहा है। परिवार अब इस निलंबन से सदमे में है।